क्या जीएसटी के दायरे में लाया जा सकेगा पेट्रोल-डीजल
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एक समय था जब केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार थी और भाजपा विपक्ष में। पेट्रोल, डीजल व गैस सिलेंडरों के रेट में बढ़ोत्तरी को लेकर खूब राजनीति हुई। भाजपा नेताओं ने इसके विरोध में देश भर में प्रदर्शन किया। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी उस समय जमकर प्रदर्शन व कांग्रेस सरकार के विरोध में हल्ला बोला। खुद ही ईरानी गैस सिलेंडरों को लेक
र प्रदर्शन करती दिखाई देती थी। लेकिन आज जब पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर के पार पहुंच चुकी है। देश भर में इसे लेकर लोग खासे परेशान हैं। भाजपा इसे लेकर तनिक भी गंभीर दिखाई नहीं दे रही है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी कहीं नजर नहीं आ रही हैं। विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी इस मामले को तवज्जों नहीं दे रही है।
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बजट से पहले जीएसटी काउंसिल की बैठक में भी इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखी। वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने अगली बैठक में विचार किया जाएगा। जानकार बताते हैं कि राज्यों के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल से आता है। इन दोनों ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्यों की कमाई बहुत कम हो जाएगी। इसका असर आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों पर पड़ेगा।
29 वस्तुओं पर जीएसटी में कटौती
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आम बजट से पहले 18 जनवरी को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक ने 29 वस्तुओं और 54 श्रेणी की सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती को मंजूरी दे दी है। इस दौरान जेटली ने यह भी जानकारी दी कि परिषद की अगली बैठक में जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल करने की मंजूरी दी जाएगी। इतना ही नहीं, रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को आसान करने को लेकर नंदन नीलेकणि ने एक प्रजेंटेशन भी पेश किया। आगामी 1 फरवरी से इंटर स्टेट ई-वे बिल की व्यवस्था देश भर में शुरू हो जाएगी। 15 राज्यों ने भी ई-वे बिल की व्यवस्था भी शुरू करने की बात कही है।