नॉर्थएमसीडी
और लटक गई वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की योजना
और लटक गई वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की योजना
-100 वर्गमीटर वाले बड़े प्लाटों में होना था लागू
-अस्पातलों, होटलों पर एनजीटी लगा चुकी है जुर्माना
दिल्ली नगर निगम में योजनाओं का फेल होना कोई नई बात नहीं है। ऐसी ही ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की योजना फंड के फेर में लटक गई है। दरअसल, दिल्ली में जल स्तर सुधारने के लिए नॉर्थ एमसीडी ने 100 वर्गमीटर या इससे बड़े प्लाटों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की योजना को लागू करने की योजना तैयार की थी। साल 2016 के जून माह में नॉर्थ एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी डिप्टी चेयरमैन बनने के बाद राजेश भाटिया ने कहा था कि नॉर्थ एमसीडी इस दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा था कि निगम की बिल्डिंग बायलॉज के तहत इस नियम को लागू कराया जाएगा। लेकिन फिलहाल योजना लागू होती नहीं दिख रही है।
सूत्रों का कहना है कि फंड के अभाव में इसे लागू नहीं किया जा रहा है। बता दें कि भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार बिल्डिंग वायलॉज 1983 के तहत 100 वर्ग मीटर या उससे अधिक बड़े प्लाटों पर निर्माण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग करने को अनिवार्य बनाया गया है। इसी को आधार बनाकर नॉर्थ एमसीडी ने अपने सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों, कार्यालयों, डिस्पेन्सरियों और अस्पतालों सहित अपनी सभी इमारतों में इसे लागू करने की योजना बनाई थी।
बता दें कि दिल्ली में भू-जल स्तर सुधारने के लिए एनजीटी भी कड़े निर्देश देती रही है। बीते साल सिंतबर माह के दौरान भी एनजीटी ने दिल्ली सरकार से रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की सूची देने का निर्देश दिया था। एनजीटी ने सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी व दिल्ली जल बोर्ड को आरडब्ल्यूए के बारे में पूरी जानकारी वाली स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने को कहा था। सुनवाई के दौरान जल बोर्ड ने कहा कि आरकेपुरम, लाजपत नगर और द्वारका में तीन सिस्टम शुरू कर दिए गए हैं। इससे पहले एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड से दिल्ली में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बारे में जानकारी मांगी थी। इतना ही एनजीटी इस बाबत दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों, नामी होटलों और मॉल पर रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम न लगवाने को लेकर जुर्माना भी लगा चुकी है।