चीन याद करे डोकलाम
- राजेश रंजन सिंह
चीन को भारत- इजराइल की दोस्ती रास नहीं आ रही है। शायद यही वजह है कि चीन युद्धोन्माद फैलाने वाले बयान देने में जरा सी भी देरी नहीं करता है। बुधवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ जब भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि डोकलाम में चीनी सैनिक अभी भी मौजूद हैं। लेकिन उसैनिकों की संख्या अब पहले के मुकाबले कम है। यह बयान सुनते ही चीन ने भी जनरल के बयान को भारतीय कूटनीति की अपरिपक्वता करार दे दिया। साथ ही यह भी कह दिया कि भारत इसी तरह उकसाने वाला बयान देता रहा तो चीनी सेना उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स नेसंपादकीय में जनरल रावत के बयान का हवाला देते हुए प्रतिक्रिया दी है कि शायद भारत डोकलाम में मिले सबक को भूल गया है। चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए बेहतर यही होगा कि वह बीजिंग द्वारा अपनाई गई दोस्ताना नीति पर चलता रहे।
चीनी सेना हटी थी पीछे
चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स शायद भूल गया है कि पीछे चीनी सैनिकों को हटना पड़ा था। इसमें भारत की कुटनीतिक जीत हुई थी। बावजूद इसके उल्टे चीन भारत को नसीहत और याद दिला रहा है। चीन शायद यह भी भूल गया है कि भारत अब इंडिया भी बन चुका है जिसकी पहचान इंटरनेशनल लेवल पर है। इकॉनोमी से लेकर डिफेंस, टेक्नोलॉजी, एजुकेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी विकास बहुत तेजी से हो रहा है।
पाकिस्तान पर अमेरिका का सख्त रवैया अपनाना भी भारत की इंटरनेशनल लेवल पर बनी अच्छ इमेज को दर्शाता है। दुनिया का हर देश आद भारत की ओर ललचाई आंखों से देख रहा है। लेकिन चीन और पाकिस्तान आज भी 1947 का ही भारत समझ रहे हैं।
- राजेश रंजन सिंह
चीन को भारत- इजराइल की दोस्ती रास नहीं आ रही है। शायद यही वजह है कि चीन युद्धोन्माद फैलाने वाले बयान देने में जरा सी भी देरी नहीं करता है। बुधवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ जब भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि डोकलाम में चीनी सैनिक अभी भी मौजूद हैं। लेकिन उसैनिकों की संख्या अब पहले के मुकाबले कम है। यह बयान सुनते ही चीन ने भी जनरल के बयान को भारतीय कूटनीति की अपरिपक्वता करार दे दिया। साथ ही यह भी कह दिया कि भारत इसी तरह उकसाने वाला बयान देता रहा तो चीनी सेना उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स नेसंपादकीय में जनरल रावत के बयान का हवाला देते हुए प्रतिक्रिया दी है कि शायद भारत डोकलाम में मिले सबक को भूल गया है। चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए बेहतर यही होगा कि वह बीजिंग द्वारा अपनाई गई दोस्ताना नीति पर चलता रहे।
चीनी सेना हटी थी पीछे
चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स शायद भूल गया है कि पीछे चीनी सैनिकों को हटना पड़ा था। इसमें भारत की कुटनीतिक जीत हुई थी। बावजूद इसके उल्टे चीन भारत को नसीहत और याद दिला रहा है। चीन शायद यह भी भूल गया है कि भारत अब इंडिया भी बन चुका है जिसकी पहचान इंटरनेशनल लेवल पर है। इकॉनोमी से लेकर डिफेंस, टेक्नोलॉजी, एजुकेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी विकास बहुत तेजी से हो रहा है।
पाकिस्तान पर अमेरिका का सख्त रवैया अपनाना भी भारत की इंटरनेशनल लेवल पर बनी अच्छ इमेज को दर्शाता है। दुनिया का हर देश आद भारत की ओर ललचाई आंखों से देख रहा है। लेकिन चीन और पाकिस्तान आज भी 1947 का ही भारत समझ रहे हैं।
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